Electoral Bond Kya hai: किस पार्टी को मिला कितने करोड़ का चंदा? जानिये पूरी डिटेल!

Electoral Bond kya hai: इलेक्टोरल बॉन्ड एक प्रकार का पैसा देने का साधन था जो भारत में राजनीतिक पार्टी को पैसे दान करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। जिसे ये पार्टियां चुनाव प्रचार व अन्य काम में इस्तेमाल करती थी। यह एक वाहक बांड के रूप में कार्य करता था, जिसे कोई भी व्यक्ति या कंपनी खरीद सकता था।

Electoral Bond Kya hai detail
Electoral Bond Kya hai detail

Electoral Bond की शुरुआत 2017 में हुई थी।

यह योजना 2017-18 के बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश की गई थी। Electoral Bond को राजनीतिक दलों को चंदा देने का एक वित्तीय माध्यम माना जाता था।

Electoral Bond को 9 जनवरी 2018 को कानूनी रूप से लागू कर दिया गया था।

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Electoral Bond kya hai?

इलेक्टोरल बॉन्ड एक वित्तीय उपकरण है जो व्यक्तियों और कंपनियों को उनकी पहचान को गुप्त रखते हुए राजनीतिक दलों को चंदा देने की सुविधा प्रदान करता है। यह योजना 2017 के बजट सत्र के दौरान पेश की गई थी और 9 जनवरी 2018 को प्रभावी हुई थी। इलेक्टोरल बॉन्ड्स की खरीद सिर्फ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) से ही की जा सकती है। इन बॉन्ड्स की मूल्य ₹1,000 से लेकर ₹1 करोड़ तक हो सकती है।

इलेक्टोरल बॉन्ड्स के माध्यम से दानकर्ता राजनीतिक दलों को चंदा दे सकते हैं, और इसकी जानकारी केवल SBI को होती है। चुनाव आयोग या सामान्य जनता को यह नहीं पता चलता कि किसने, किस पार्टी को, और कितना चंदा दिया है।

Electoral Bond
Electoral Bond

Electoral Bond के जरिए सभी पार्टियों को चंदा नहीं दिया जा सकता था। Electoral Bond केवल उन पार्टियों को दान किया जा सकता था जिन्हें लोकसभा और विधानसभा चुनावों में कम से कम 1% वोट मिले हों।

Electoral Bond में चंदा लेने की प्रक्रिया

  1. Electoral Bond को भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की शाखाओं से खरीदा जा सकता था।
  2. Electoral Bond ₹1,000, ₹2,000, ₹5,000, ₹10,000, ₹25,000, ₹50,000, ₹1,00,000 और ₹10,00,000 के मूल्यवर्ग में उपलब्ध थे।
  3. Electoral Bond खरीदने वाले का नाम गुप्त रखा जाता था।
  4. Electoral Bond को केवल पंजीकृत राजनीतिक दलों को दान किया जा सकता था।
  5. राजनीतिक दलों को Electoral Bond को SBI की शाखा में जमा करना होता था।
  6. SBI ने Electoral Bond को राजनीतिक दलों के खाते में जमा कर दिया।

कौन ले सकता था Electoral Bond?

इसमें सभी पार्टी को Electoral Bond के जरिए चंदा नहीं मिलता था। Electoral Bond केवल गिनी-चुनी पार्टियों को उन पार्टियों को दिया जा सकता था जिन्हें लोकसभा या विधानसभा चुनाव में कम से कम 1% वोट मिले हों.

इसके अलावा, Electoral Bond केवल भारतीय नागरिकों, भारतीय कंपनियों और भारतीय संस्थाओं द्वारा ही खरीदे जा सकते थे। विदेशी नागरिकों, विदेशी कंपनियों और विदेशी संस्थाओं को Electoral Bond खरीदने की अनुमति नहीं थी।

Electoral Bond पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश

Electoral Bond supreme court Orders
Electoral Bond supreme court Orders

15 फरवरी 2024 को, भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यों की पीठ ने Electoral Bond को असंवैधानिक और अवैध घोषित कर दिया।

पीठ के सदस्य:

  1. भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़
  2. न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी
  3. न्यायमूर्ति विक्रम नाथ
  4. न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना
  5. न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला

याचिकाकर्ता:

  1. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR)
  2. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी)
  3. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग
  4. लोकसत्ता पार्टी

प्रतिवादी:

  1. भारत सरकार
  2. भारतीय चुनाव आयोग
  3. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI)

Electoral Bond पर विवाद की शुरुआत और कारण

Electoral Bond पर विवाद इसकी शुरुआत से ही हो रहा है। 2017 में जब इसे पेश किया गया था, तब से ही कई लोगों ने इसकी आलोचना की थी।

Electoral Bond पर विवाद के मुख्य कारण:

  • पारदर्शिता की कमी: Electoral Bond खरीदने वाले का नाम गुप्त रखा जाता था, जिससे राजनीतिक दलों को मिलने वाले धन के स्रोत का पता लगाना मुश्किल हो गया था।
  • अनुचित प्रभाव: Electoral Bond के कारण राजनीतिक दलों पर बड़े दानदाताओं का अनुचित प्रभाव बढ़ने का खतरा था।
  • काले धन का प्रवाह: Electoral Bond का उपयोग राजनीतिक दलों में काले धन को लाने के लिए किया जा सकता था।
Electoral Bond Scam supreme court order
Electoral Bond Scam supreme court order

विवाद के कुछ प्रमुख बिंदु:

  1. 2017: Electoral Bond योजना शुरू की गई।
  2. 2018: एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने Electoral Bond को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
  3. 2020: सुप्रीम कोर्ट ने Electoral Bond की वैधता पर सुनवाई शुरू की।
  4. 2024: सुप्रीम कोर्ट ने Electoral Bond को असंवैधानिक और अवैध घोषित कर दिया।

Electoral Bond में किस पार्टी को कितना पैसा मिला

इसके पहले, Electoral Bond के माध्यम से राजनीतिक दलों को दान किए गए धन का डेटा चुनाव आयोग द्वारा सार्वजनिक किया गया था।

2017 से 2024 तक, Electoral Bond के माध्यम से राजनीतिक दलों को दान किए गए धन का विवरण:

  1. भाजपा: ₹6,986.5 करोड़
  2. तृणमूल कांग्रेस: ₹1,397 करोड़
  3. कांग्रेस: ₹1,334 करोड़
  4. बीआरएस: ₹1,322 करोड़
  5. द्रमुक: ₹1,187 करोड़
  6. तेलंगाना राष्ट्र समिति: ₹1,179 करोड़
  7. बीजू जनता दल: ₹944.5 करोड़
  8. आम आदमी पार्टी: ₹823.5 करोड़
  9. शिवसेना: ₹792.5 करोड़
  10. राष्ट्रीय जनता दल: ₹765.5 करोड़

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह डेटा केवल Electoral Bond के माध्यम से किए गए दान का प्रतिनिधित्व करता है।

राजनीतिक दलों को अन्य स्रोतों से भी धन प्राप्त होता है, जैसे कि सदस्यता शुल्क, दान और चुनावी चंदा।

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